1. जब कूटनीति में इंसानियत झलकती है
कूटनीति सिर्फ समझौतों और बैठकों तक सीमित नहीं
होती, यह रिश्तों की गर्मजोशी से भी तय होती है। 17 फरवरी 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कतर के अमीर, शेख तमीम बिन हमद अल-थानी, का स्वागत करने के लिए खुद दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचकर एक अनोखी
मिसाल पेश की।
यह कदम सिर्फ एक औपचारिक स्वागत नहीं था, बल्कि यह भारत-कतर के गहरे संबंधों को दर्शाने वाला एक प्रतीक
था।
2. आमतौर पर क्या होता है प्रोटोकॉल?
जब कोई विदेशी राष्ट्राध्यक्ष भारत आते हैं, तो आमतौर पर उनका स्वागत विदेश मंत्री या वरिष्ठ अधिकारी करते हैं।
प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति औपचारिक स्वागत समारोह में शामिल होते हैं, लेकिन वे एयरपोर्ट पर नहीं जाते।
मोदी पहले भी कई बार ऐसा कर चुके हैं - शिंजो आबे (जापान), अबु धाबी के क्राउन प्रिंस और इजरायल के पीएम नेतन्याहू के लिए भी उन्होंने
प्रोटोकॉल तोड़ा था।
लेकिन जब संबंध खास हों, तो प्रोटोकॉल से बड़ा हो जाता है व्यक्तिगत सम्मान।
3 .कतर-अमीर की यह यात्रा क्यों खास है?
ऊर्जा सहयोग- भारत, कतर से बड़ी मात्रा में लिक्विफाइड नैचुरल गैस (LNG) आयात करता है।
प्रवासी भारतीयों की भूमिका - कतर में लगभग 8 लाख भारतीय रहते हैं, जो दोनों देशों को जोड़ने वाली एक मजबूत कड़ी हैं।
आर्थिक संबंध - व्यापार, निवेश और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में नए समझौते होने की उम्मीद है।
वैश्विक रणनीति – पश्चिम एशिया में भारत अपनी भूमिका को और
मजबूत करना चाहता है, जिसमें कतर अहम सहयोगी है।
4. पीएम मोदी का ह्यूमन टच – सिर्फ राजनीति नहीं, अपनापन!
जब मोदी एयरपोर्ट पहुंचे, तो यह सिर्फ एक औपचारिकता नहीं थी। यह उस
भारतीय संस्कृति को दर्शाता है जो कहती है – “अतिथि देवो भव”।
जब किसी राष्ट्राध्यक्ष को प्रधानमंत्री खुद रिसीव करने जाता है, तो इसका संदेश सीधा और स्पष्ट होता है-"आप सिर्फ एक सहयोगी नहीं, बल्कि हमारे अपने हैं।"
5. सोशल मीडिया पर छाया यह पल!
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा—
अपने भाई, कतर के अमीर महामहिम शेख तमीम बिन हमद अल थानी का स्वागत करने एयरपोर्ट गया। भारत में उनके सफल प्रवास की कामना करता हूं और कल होने वाली हमारी मुलाकात की प्रतीक्षा कर रहा हूं।
इस पोस्ट के बाद
यह खबर तेजी से वायरल हो गई। कतर और भारतीय मीडिया में इसे Modi's personal diplomacy" कहा जा रहा है।
6. भारत-कतर संबंधों का भविष्य
व्यापार - भारतीय कंपनियों के लिए कतर में नए अवसर खुल सकते हैं/
ऊर्जा क्षेत्र - कतर, भारत में तेल और गैस क्षेत्र में बड़ा निवेश कर सकता है/
सांस्कृतिक सहयोग - दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और शिक्षा क्षेत्र में आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा/
7. निष्कर्ष: यह सिर्फ स्वागत नहीं, रिश्तों का नया अध्याय है!
पीएम मोदी का यह कदम सिर्फ एक कूटनीतिक इशारा नहीं था, बल्कि यह बताता है कि रिश्तों को मजबूत करने के लिए केवल बातचीत ही नहीं, भावनाओं का मेल भी जरूरी होता है/
कतर के अमीर की यह यात्रा दोनों देशों के संबंधों में एक नया और सुनहरा अध्याय जोड़ सकती है।
एक टिप्पणी भेजें